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yashoda nishad

Romance

3  

yashoda nishad

Romance

मेरी मोहब्बत

मेरी मोहब्बत

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राहों में चलते चलते थक गए हैं,,,, 

जिसे ढूंढने निकले थे घर से हम खुद भटक गए हैं,,,, 

मंजिल तो मिली नही रास्ते गुम हो गए हैं,,,, 

राहों में चलते चलते थक गए हैं,,,, 


ये अनजाना सा शहर अनजाने लोग,,,, 

ना जाने कहाँ आकार फंस गए हैं,,,,

ये मोहब्बत भी ना जाने क्या क्या करा देती हैं इंसान से,,,,

जिसकी सिर्फ़ एक झलक देखे हैं,,,,

उसे ढूंढने निकल पड़े हैं घर से,,,,

राहों में चलते चलते थक गए हैं,,,,


ये अनजानी सी लड़की ने ना जाने क्या जादू कर गई हैं,,,, 

मुझको अपना यू दिवाना बना गई हैं,,,,

कभी सोचा नही था, एक दिन हम भी मोहब्बत में 

यू पागल दीवाने हो जाएंगे,,,, 

जिसे ढूंढने आए हैं, इस शहर में हम खुद भटक जाएंगे,,,,

राहों में चलते चलते अब थक गए हैं,,,,,!!



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