****बहुत दिन से****
****बहुत दिन से****
तू भी क्यू ख़्वाब में आया नहीं बहुत दिन से
यूँ हाले-दिल भी सुनाया नहीं बहुत दिन से।
होती हूँ खुश मैं मुस्कान ही तेरी देखकर
तू भी जरा मुस्काया नहीं बहुत दिन से।
बड़ी हैं छाई मुफ़लिसी अभी से यादों की
ख़र्च से पहले कमाया नहीं बहुत दिन से।
यूँ रोज फूल अब खिलने लगें हैं अच्छे से
तो ख़त कोई भी जलाया नहीं बहुत दिन से।
मेरे अंदर से कोई हादसा सा गुजरा हैं
किसी ने दिल भी दुखाया नहीं बहुत दिन से।
कोई जगह ना हैं महफ़ूज मन से भी ज़्यादा
"नीतू" ने चाँद छुपाया नहीं बहुत दिन से।