प्यार की राह
प्यार की राह
इम्तिहान तो बहुत है प्यार की राह में
जीता भी वहीं जो चला इस राह में
बिना उसके जो मेरा एक पल न बीता
वो हो गए मगरूर इस मेरी ही चाह में
उनको तो इश्क का अक्षर भी न था पता
हमको पढ़ा गए शास्त्र पूरे, एक निगाह में
इत्र सा महकता था जो दूर दूर तक
खुद में समेट गया वो ले के बाँहों में
अब के सावन जरा देर तक बरसे " राधे
वो बूंद बूंद मुझ पर बरस जाए बरसात में।