किरदार
किरदार
किरदार अपना अपना निभाते जाइए
जो खुदा ने बनाया वो उभारते जाइए
फूल पतझड़ में भी खिलाते जाइए
रंग फिज़ा में उम्मीद के उड़ाते जाइए
बरसों पुरानी याद ताजा करते जाइए
अपने जो रूठे थे कभी मनाते जाइए
अधूरे ख्वाब आखें खोल संवारते जाइए
कोशिश थोडी और शिद्दत से करते जाइए
हर क्षय में शामिल ख़ुद को करते जाइए
नूर जहां में राधे नाम का फैलाते जाइए।
