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Renu Singh

Tragedy Others

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Renu Singh

Tragedy Others

सर्कस

सर्कस

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मुखौटा लगाकर घूम रही है

ये जिन्दगी है डूब रही है

जैसा मौका वैसी इसकी पोशाक

असली चेहरा छुपाए घूम रही है

हँसती मुस्कुराती नाचती गाती 

हर हाल में गम छुपाती रही है

बड़े बड़े पत्थर के महलों में रहती है

 गरीब दिल अमीरी दिखा रही है

जिन्दगी एक सर्कस ही तो है

जिंदगी खुद की, डोर कोई 

और शक्ति चला रही है



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