STORYMIRROR

Renu Singh

Tragedy Others

3  

Renu Singh

Tragedy Others

सर्कस

सर्कस

1 min
190

मुखौटा लगाकर घूम रही है

ये जिन्दगी है डूब रही है

जैसा मौका वैसी इसकी पोशाक

असली चेहरा छुपाए घूम रही है

हँसती मुस्कुराती नाचती गाती 

हर हाल में गम छुपाती रही है

बड़े बड़े पत्थर के महलों में रहती है

 गरीब दिल अमीरी दिखा रही है

जिन्दगी एक सर्कस ही तो है

जिंदगी खुद की, डोर कोई 

और शक्ति चला रही है



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy