तुम्हारी ख्वाहिश मुझे बुला रही है ना !
तुम्हारी ख्वाहिश मुझे बुला रही है ना !
सुनो,
जब तुम दूर होते हो न
मेरी जब कोई बात तुमसे
अधूरी रह जाती या
यूँ कहूं कि नहीं कह पाती ....
मन मेरा अशांत हो कर
बार -बार उसी राह को तकती
जहाँ से तुम हर बार मुझे बुलाते हो ...
आसान नहीं होता उन धड़कनो को समझाना
जब ये तेरे होने कि आहट पर
दरवाजे तक जाती है और
फिर ख़ामोशी से तड़प रह जाती ...
ऐसा नहीं कि तुम मिलते नहीं
अक्सर इन्ही आहटों संग में मिल भी जाते
लेकिन आज अकेली हूँ
तुम की आहट मिलकर भी
बिना देखे तुमको लौट रही हूँ ...
तुम्हारी ख्वाहिश मुझे बुला रही है ना ....
काश ! मैं तुम्हारे पास होती ......
मन की कह रही हूँ
बहुत बेचैन हूँ
आँखें छलक जा रही है
ज़िंदगी तुम अधूरी लग रही...
आ जाओ ना.......
तुम्हारा इंतज़ार .....
मेरी रुह से ............उम्र भर तक .....!!