इबादत है तू
इबादत है तू
कड़ी दोपहर में है तू छाँव सी
गहरे समन्दर में तू नाव सी
ये जिंदगी मेरी अब है तेरी
आ पास में , मेरी चाहत है तू
इबादत है तू, इबादत है तू, इबादत है तू।
तलब है लगी, मुझको कर तरबतर
मै हूँ यहाँ, देखती तू किधर?
तुझमें है सब, मुझमें बस एक तू
है सच की अब मेरी आदत है तू
इबादत है तू, इबादत है तू, इबादत है तू।
तू है जहाँ, है मेरा रब वहाँ
ढूंढे जिसे, सब न जाने कहाँ
मेरा जो था, मिल गया है वो मुझको
उसकी जो मुझपे इनायत है तू
इबादत है तू, इबादत है तू, इबादत है तू।
मै हूँ, तू है और तन्हाई है
उस पर गज़ब की घटा छाई है
हाथों में तेरे मेरा हाथ है
फिर भी तुझे अब शिकायत है क्यूं
इबादत है तू, इबादत है तू, इबादत है तू।