STORYMIRROR

Taj Mohammad

Romance

4  

Taj Mohammad

Romance

कयामत की रात आई है

कयामत की रात आई है

1 min
350


मेरे महबूब तुझे पाने की रात आयी है।

मांगी हुई दुआओं की पूरा होने की रात आयी है।।1।।


यूँ हमसे क्या शर्माना तेरा पर्दे के पीछे।

अपने दरम्यां शर्मो हया हटाने की रात आयी है।।2।।


अर्श पर पहुँची है देखों अपनी दुआयें।

अबतो चेहरे से हिज़ाब हटानें की रात आयी है।।3।।


शादी है अपनी आये है देखो फरिश्ते।

आज तो मोहब्बतों को लुटाने की रात आयी है।।4।।


फरिश्ते भी बहकने लगे तुम्हें देखकर।

हुस्न से तेरे लगता है कयामत की रात आयी है।।5।।


कहाँ से पाया तुमने यह हुस्नो शबाब।

रोशनी तुझसे पाकर बिन तारों की रात आयी है।।6।।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance