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Sumit. Malhotra

Romance

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Sumit. Malhotra

Romance

प्रेमग्रंथ

प्रेमग्रंथ

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खट्टा-मीठा आम रस सा, मीठा मीठा प्यार, 

जाने कब कैसे हो गया, हमको सनम प्यार। 


ह्रदय की खिड़की खोलो, धड़कन को बोलो, 

लैला मजनू जय बोलो, हो अमर प्यार बोलो। 


प्रेम वासना वास्ते, करते आनी चाहिए शर्म, 

प्यार रब का रूप, प्यार भी तो सच में धर्म। 


प्रेम गीत गाने हमें, प्यार के तुम्हारे ही साथ, 

प्रेम मिलन करें हम, लेकर एक दूजे का हाथ। 


ना धन ना दौलत, बस प्यार की चाहे दौलत, 

हमारी सदा तौबा, धोखे की न चाहे दौलत।


दिल देना तो देना, प्यार में सौदा होता नहीं, 

चलो लिखें प्रेमग्रंथ, सच्चा पवित्र प्यार सही।


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