तुम्हारी यादें
तुम्हारी यादें
खुले आसमान के जैसे याद तुम्हारी
कभी इंद्र धनुष के जैसी
तो कभी घनघोर मेघों जैसी
कभी बादलों के पीछे सूरज जैसी
तो कभी अस्थिर जल में किसी साफ प्रतिबिंब जैसी
कभी गुलाब के जैसा खुशबूदार तो
कभी सूरज मुखी जैसी
कभी आवास की रात में बस ध्रुव तारे की रोशनी जैसी
कभी पूर्णिमा के चांद से अमृत की धारा जैसी
कभी सर्दियों में गर्म हवा जैसी
तो बरसात में पहली बूंद जैसी
यादें उसकी किसी मुसाफिर की
मंजिल जैसी
किसी छोटे बच्चे की आंखों में
झील मिल करते सुनहरे सितारों जैसी।

