इश्क़ के आसमाँ
इश्क़ के आसमाँ
इश्क़ के आसमाँ में उँचा -उँचा उड़ने को दिल करता है
चाँदनी सी बातें करने वाली से दिल थोड़ा सा डरता है।
उसकी मुस्कान से सामना करने को इश्क कतराता है
चाँद भी कभी - कभी उसे देखने जमीं पे उतरता है।
सुबह की धुंदली किरण संग दिल मचल के उभरता है
नासमझ ना जाने कब से तुम्हें अपना ही समझता है।

