समझौता
समझौता
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ये वक्त सिखाता गया और हम सीखते गये
समझौता करना हालात से, समझते गये
ताबीर बुनें कितने ना जाने कब से दिल में
जला के जज़्बात, राख बदन पें लगाते गये
हादसे इतने गहरे थे जख्म भरे जीने में
झुठे हंसी का नमक जख्मों पे से लगाते गये
हमनें खुद को नूर बनाके अंधेरे को हटाया
फ़लक तक पहुंचने की शिद्दत बनाते गये
इस फ़िजा की आदत सी हो गई है हमें
वाक़िफ़ हालात से वानिया जीना जीते गये।
