अकेलेपन के साये में
अकेलेपन के साये में
अकेलेपन के साये में याद तेरी जब आती है,
ताजी हो जाती है वो खुशनुमा सुकून के लम्हे,
आँखें सजल हो जाती है मेरी,
खुद को रोक न पाता हूँ !
दूर चाहे तुमसे कितना दूर भी क्यों न रहूँ ?
हर वक्त करीब तुझे कितना पाता हूँ ।
ये प्रेम के मोती हैं कुछ बूंदें नयन से बह जाने दो !
पर कसम है तुझे तू इन मोतियों को व्यर्थ बर्बाद मत करना !
ये प्रेम के मोती हैं इसे अंतिम साँस तक संजोये रखना।
गर याद आये तुझे मेरी तो तू भी उन यादगार पलों को फिर से जी लेना,
आँखें बंद करके अपनी सजल नयन को सी लेना।
बहुत कम हैं ये अनमोल मोती हमारे पास,
ये जानकर भी यूं अकस्मात ही बहाते जाता हूँ !
तुम्हारे हिस्से का भी मोती मैं अकेले ही खर्च करते जाता हूँ।

