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Dr Rakesh R Mund

Romance

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Dr Rakesh R Mund

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कहता मन

कहता मन

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कहता मन जब जब मेरा, तुम्हारी मन को कभी

सुनने को होती क्या तुम, पूछता है हृदय तभी ?

अनगिनत प्रश्न होते हैं, जवाब न कभी मिलते

 प्रेम में ऐसा बरताव, क्यों है यही सोचते ?


सपना था हमारा कभी, न मिलता कभी तुमसे

बितायेंगे हर पल यहाँ, क्यों तू खुश न है हमसे ?

पहली भी तू आखिरी भी, प्यार हो है क्या पता

नाराज होता - तुम नहीं, जब साथ - है ये खता ।।


   तुझको बांहों में ले के, समुद्र तट घूमना

रात दिन हर पल तुझे ही, नजदीक सदा रखना ।

    तुझसे शुरुआत तुझसे, ही हो जिंदगी खत्म

 तू है तो पास मिले अमृत, तुझ बिन मिलेगा जख्म ।।


 तुम ही खुशियाँ तुम ही हो, स्वर्ग साँसें तुमसे

 तुम चाहो हम हैं जीवित, पूछते हो क्यों हमसे ।

 बंशी वाला खेल मिला, निराला उससे सीखो

 जगत पागल जिसे वो है, भ्रमण में राधा दिखो ।।


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