शिवा
शिवा
काल विकराल ढाल को हाल करे देखो
शशि जान्हवी शिर सज्जित भक्ति सीखो ।
आशुतोष निलकंठ भुजंग करे शोभा
अंशुमाली प्रकटीकरण बढ़ते आभा ।।
तंन्त्र यंत्र मंन्त्र के स्वामी लाया
वेद पुराण यज्ञ कि आहुति सबकुछ पाया ।
आदियोगी वो भभूत वाले तुम बाबा
निरंजन पशुपति तुम भक्त करता दावा ।।
कैलाशपति उमापति शिवशंभु तू भोले
अघोर तू अनंत तू अविनाशी जग खिले ।
त्रिशूल धारी नंदी सवारी बाबा
भांग धतुरा विल्व तुझे ही प्यारा शिवा ।।
