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Anita Chandrakar

Romance

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Anita Chandrakar

Romance

बहकते हम

बहकते हम

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खनकती हँसी झील सी निगाहें, गुलाबी गालों पे मरते हम।

सम्हालो अपने गेसुओं को, ये उलझती जुल्फें बहकते हम।

साथ रहो हमेशा संग मेरे, दिल की यही है मासूम ख़्वाहिश।

ज़िंदगी ख़ारजार सी लगती, तुम बिन दिन रात तड़पते हम।

दूर कब तक रहूँगा बता दो, ज़िंदगी का कोई भरोसा नहीं।

मिलन की आस लिये, दिन उँगलियों पे गिनते रहते हम।

आज भी सब कुछ वैसा ही है, कमरे में रहता हूँ अकेला।

तुम्हारी कमी रुलाती हैं मुझे, फिर चुपचाप सिसकते हम।

आ सँवार दूँ तेरी जुल्फों को, भरना चाहता हूँ प्रेम सिंदूर।

अरमानों को सजाकर, इन आँखों में खुद को देखते हम।


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