दीवानापन
दीवानापन
तुम्हें पूरे दिल से चाहना
दिन रात सिर्फ़ तुम्हें सोचना।
हर ख़ुशी ग़म में याद करना
तुमसे बेइंतिहा प्यार करना।
यही तो है मेरा दीवानापन।
तुमसे बात करते करते हँसना
फिर फुट फुट के रोना।
दौड़ के तुमसे लिपट जाना
और तुम्हारा माथा चूमना।
यही तो है मेरा दीवानापन।
कोई और नहीं दिखता मुझे
तेरी ही सूरत नज़र आती है।
कभी चावल गीले हो जाते
कभी सब्जियाँ जल जाती हैं।
यही तो है मेरा दीवानापन।
कभी चोट लगती मुझे तो
मुँह से तेरा नाम निकलता है।
हर सुबह दो कप चाय बनाती हूँ
और तेरे इंतज़ार में बैठ जाती हूँ।
यही तो है मेरा दीवानापन।

