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Lata Singhai

Romance

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Lata Singhai

Romance

प्रेम कहां है

प्रेम कहां है

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हफ्ते भर से कुछ भी ठीक नहीं

तनाव, तनाव और बस तनाव

मुस्कुराता सा तुम्हारा चेहरा

कुम्हला सा गया है,

यह अर्थ ही तो है जो

अक्सर खींच देता है

हमारे प्रेम में दूरियां

आज कुछ न कहूंगी

न बिजली का बिल न बच्चों की फीस,

न राशन का खटराग,

ऑफिस से आते ही

एक प्याला चाय के साथ

निहारूंगी प्रेममई आंखों से

मगर यह क्या ऐसा ही क्यों होता है,

मेरी पहल करने से पहले तुम्हारी ही पहल क्यों होती है,

आते ही कहते हो, परेशान मत हो

भर आया हूं बिल, जमा कर दी फीस,

जरूरी राशन भी ले आया हूं

थैले में से निकाल लो जाकर

प्रेम यहां है

    


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