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Lata Singhai

Classics

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Lata Singhai

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किसे कहे सुदामा

किसे कहे सुदामा

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मन मे ना हो कोई भेदभाव ,

अमीर ,गरीब की धूप छाँव ।

अमीरी का ना हो अभिमान ,

गरीबी में ना छोड़े स्वाभिमान ।


बारिश से भीगे चहेरे पर भी ,

आंसुओ की कर ले पहचान ।

मन की पीड़ा को हर कर भी ,

दिखाये ना कोई अहसान ।


प्यार और विश्वास हो प्रगाढ़ ,

लेंन देंन का ना हो कोई व्यापार ।

दुःखो की धूप में ,ठंडी छाँव अगाध ,

विकट परिस्थितियों में ना बदले व्यवहार ।


सुदामा औऱ कृष्ण सा प्यार ,

जग में है सबसे निराला ।

उस जैसा मिल जाये यार ,

जिसे कह सकू में सुदामा ।



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