मतभेद मनभेद
मतभेद मनभेद
मतभेद गिरी से गिरते
वो कलकल प्रवाह है
जो कभी एकधार हो
शांत सरिता बन जाते है
मनभेद सरिता के
वह दो किनारे है
जो खामोशी से साथ चलते
किंतु कभी नही मिलते
फर्क इतना है
मतभेद के एकाकार होने पर
प्यार पनपता है
मनभेद रहने पर
नफरत पनपती है।
