शीश महल
शीश महल
मेरे मन को झीलों में खिलता इक नील कमल रखना
बनाकर तुम मेरी ख्वाहिशों का एक शीश महल रखना।
मुझे कान्हा सा करना प्रेम राधा सी मैं बन जाऊँ
जो चलती अभी साँसे तू उनकी प्रीत सफल रखना।
लगाना दिल भी जरूरी था तो दूर रहना भी जरूरी है
जुड़ी हैं प्रीत तुमसे , प्रीत की सब रीत सरल रखना।
तुम्हें मांगा नहीं तुमसे लुटाने प्यार आई हूँ
यकीं इतना अभी रखना मेरे तू ईश सकल रखना।
मैं शहजादी तेरे दिल की तू शहजादा हैं गज़लों का
"नीतू" लिखती रहेगी तू संभालकर गीत गज़ल रखना।

