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सोनी गुप्ता

Romance

4  

सोनी गुप्ता

Romance

तुम्हारी याद

तुम्हारी याद

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गुलदान में सजे फूलों से घर का हर कोना महक जाता था, 

अभिलाषाओं का दीप जला भावों का महल तुम संग सजाया था, 


आज तुम संग बीते हुए हर उन पलों का मैं उपसंहार ढूँढ रहा , 

उपसंहार उनका जिन पलों को कभी हमने अपना बनाया था, 


मन में उठे हर उन अनुभवों का प्रतिफल मैं एक सार ढूँढता हूँ, 

तुम्हारी याद में मौन भरे इन नैनों से मैंने कण अश्रुओं को बहाया था, 


जाने कितने ही मन में लिए बैठे यादों के अवसाद समाहित हैं, 

आज ढूँढ रही हर कोनों में जिसमें तुम्हारी यादों को बसाया था , 


जब तुमसे मिलेंगे हम फिर से कश्ती को किनारा भी मिल जाएगा, 

सज जाऐंगे फिर गुलदस्ते में फूल जिससे वो कोना महकाया था, 


कोई मोल नहीं हमारे इस रिश्ते का अनमोल है और अनूठा है, 

याद है तुमने ही मुझे जीवन में बहुत आगे बढ़ना सिखाया था, 


आत्मविश्वास की वो एक घनी छांव तुम संग ही मैंने पाई थी, 

जीवन की कड़ी धूप को तुमने ही छांव में बदलना मुझे सिखाया था,


 गुपचुप- गुपचुप दिनभर भावों का तर्कों का रंग बदलता है, 

वो सुबह सुनहरी और श्याम नारंगी जिसे सिर्फ तुमने सजाया था, 


वो हमारा घरौंदा आज भी सुशोभित है तुम्हारी यादों का, 

जिसमें तुम्हारे पदचिह्नों ने मेरे हृदय को झंकृत किया था, 


मेरे मन की नगरी में तुम्हारी यादों का प्रतिबिंब बसाया है, 

आज भी याद है वो कोना जहाँ गुलदस्ता तुमने सजाया था , 


समेट रखा है उन सभी प्यारी -प्यारी यादों की खुशबू को मैंने 

 जिन यादों में तुमने उन महकते हुए पुष्पों को बिखेरा था, 


अतीत की वह सुंदर यादें मन में आज भी हलचल करती हैं, 

वो मौसम आज भी सुहाना है जहाँ तुमने अरमानों के फूलों को सजाया था I



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