पहली मुलाकात
पहली मुलाकात
जब हुई मुलाकात मूक नयनों से इशारे कर गई वो,
मधु मिलन पलों में हम उसके और हमारी हो गई वो,
उनसे मिले जब प्रीत - नगर में हम सब कुछ लुटा बैठे,
दिल बहला कर हमारा हमें अपना दीवाना बना गई वो,
महक गया उपवन हमारा फूलों का दामन सुहाने लगा,
उनसे मिलकर जो देखे थे सपने आज सजने लगे हैं वो,
मौसम ने अब करवटें बदली जीवन में यौवन भर आया,
नयनों में गुलशन की कलियाँ महकी हमारी हो गई वो,
उनसे मिलकर तो इन बहारों में हवाऐं सहज चलने लगी ,
प्रेम -पाश में ऐसा बंधा आकर्षण सपनों में आने लगी वो,
उपवन की मौन कलियों में भी फूलों सी मुस्कान भरकर,
नयनों के गुलशन से हमें देख - देखकर मुस्कुराने लगे वो,
मधुर मुस्कान लिए और झुकी हुई नजरों से हमें निहारती,
आत्मविश्वास की घनी छांव -सी दिल में मेरे छाने लगी वो,
प्रबल -प्रेम व सहज समर्पण मन -मधुवन में बांध लिया है,
हमें गगन का चांद बताकर मन - मानस में उतर आऐ वो,
वो हमारी पहली मुलाकात मन अंदर शीतलता भर लाया,
शब्द फूल बन झरने लगे उसने अधरों से गीत गुनगुनाया जो,
उनकी बेपनाह मोहब्बत में खुशियों से दामन सजने लगा ,
बदल गया रुख़ उन्होंने हमारी हसरतों को गले लगाया जो,
प्यासे मन में विलुप्त नेह- जल दिल में जैसे समंदर भर गया,
अनकही अनबुझी और ख्वाहिशों को दिल में जगाने लगे वो,
जिंदगी के आईने में हमें वो अब अपने अपने से लगने लगे,
मेरे दिल की उस आवाज सुनकर प्यार से गुनगुनाने लगे वो II