स्पर्श और मोन
स्पर्श और मोन
स्पर्श की भाषा..
जैसे प्यार की असंख्य बोलियाँ...
स्पर्श की अपनी इक भाषा होती है
जो बग़ैर कहे ही बोलती है..!
सहलाकर देखना कभी किसी
बीमार का माथा..!
कितना शांत नज़र आता है..
कुछ क्षण ही पहले जो
पीड़ा में तड़प रहा था..
कैसे सुकूँ की नींद सोता है अब.. !!
गाल से गाल टिकाये एक-दूजे के
मंद-मंद मुस्कुराती
अपने बच्चे के संग..
मां बोलती है प्यार की
न जाने कितनी ही बोलियां..!
जो दुनिया की सारी भाषाओं
और शब्दों से है परे..!
दोस्त के हाथ पर हाथ रखना
जब वह तकलीफ़ में हो
कुछ न कहो...कुछ न सुनो..
बस महसूस करो उसका दर्द !
जैसे कोई कहता है - मैं हूँ.. ना..
इससे बड़ा सहारा कोई हो सकता है भला.. !!
जब कभी प्रेम में हो.. तुम
तो छूना मात्र उसकी हथेली
इक स्पर्श से ही
विश्वास से भर उठेगा
कुछ उमड़ता-घुमड़ता-सा
दोनों का अंतर्मन..!
कहने सुनने की ज़रूरत ही नहीं
और प्यार बिन कहे ,
बोल उठेगा..दोनों के
बीच..
समुद्र-सा गहरा
पर्वतों से ऊँचा
और नदी-सा पवित्र.. !!
बहन के सिर पर रखा
भाई के हाथ का स्पर्श
असंख्य बोलियां बोलता है.!
स्नेह के बंधन से भीग उठता है
उनका मन..!
बचपन की यादें हिलोरें मारती हैं
मन डूब जाता है यादों की गलियों में..!
संग बिताये बचपन के उन पलों में..
अपने घर-आँगन में, फूलों की क्यारियों
और आम के बगीचे में..!
माँ के आँचल में, और सपने-सी लगती
दादी-नानी की कहानियों में..!
जिन्हें छोड़ आये दोनों
मानो एक युग पीछे.. !!
पति के सीने से लगी पत्नी
एक हथेली की छुअन से..
मात्र एक स्पर्श से ही जी उठती है
साथ का अहसास बिना कहे ही बोलता है
कोई तूफ़ान...कोई अनिष्ट
नहीं कर सकता उसका बाल बांका
किसी राजमहिषी से कम नहीं लगता
उसे अपना दर्ज़ा..!
आसमां के चाँद-तारे..
अपने आँगन में उतरे लगते ,
और सूरज आँखों में दमकता.. !!
हाँ,
स्पर्श बोलता है मौन रहकर
अगाध प्रेम की बेशुमार बोलियाँ.. !!