नर-नारी
नर-नारी
वो बेटा है या बेटी है, जो चाहे किस्मत वैसी है,
ना रोक सके कोई शिला उसे वो मर्टर तोप की गोली है।
लेखा दुनिया का है सारा, पहले किया था बँटवारा,
अभिमान करे उनको देके आरक्षण अंतिम चारा।
नारीवाद का अर्थ नही की नारी को सर्वोच्च कहे,
प्रधान पुरुष को कहते ना वो राजा हो या रंक भले।
मानवता का है ये ज्ञान ना कोई ऊँच ना नीच रहे,
उत्तरदायी निज के सब क्यूँ दूजा कोई दोष सहे ?
प्रतिभा उसकी है अपनी वो उसकी पृथक पहचान है,
वो गाड़ी से आसक्त या गुड़ियों में उसकी जान है।
उस बच्चे को तो माँ कहना ना ठीक से आता है,
फर्क ग़ुलाबी नीले का संसार की सोच दिखाता है।
पिता ने जब माँ भी बनके ढाली वो एक मर्दानी थी,
उसने झाँसी का राज्य रचा कीमत जिसकी कुर्बानी थी।
सृष्टि संवेदना है भारी, नर पालक है, जनती नारी।
सक्षम दोनो ही पूर्ण यहाँ, जो राधा है वही गिरधारी।।