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mumtaz hassan

Children Stories Thriller

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mumtaz hassan

Children Stories Thriller

"वादी में एक बच्चा"

"वादी में एक बच्चा"

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अभी अभी-

वादी में उड़े हैं बारूद

हवा सहमी सहमी सी है

दहशत की गंध फैल गई है

वातावरण में


अभी अभी- 

वर्दीधारी और आतंकियों की मुठभेड़ में

शहीद हो गया है एक बेकसूर शख़्स

खून से लथपथ बीच सड़क पर पड़ी

उसकी लाश से लिपटकर रो रहा है एक मासूम बच्चा- 

बच्चा-जो नहीं जानता ये सब क्या और क्यों हो रहा है

मार डाला गया है, उसके बाबा को


उसे नहीं पता

वादी में इतना खून खराबा क्यों होता है

क्यों हर सुबह गोलियों की आवाजें,

बम धमाके सुनकर जगते हैं लोग

क्यों शाम आते ही घरों में दुबकने को

मजबूर होते हैं वादी वाले


कौन हैं जो लड़ रहे हैं बरसों से,

रक्तरंजित कर रहे हैं इस पवित्र जन्नत को

किसके हक की लड़ाई लड़ रहे हैं वो

आख़िर किसके हमदर्द हैं वे

क्या अवाम का भला चाहते हैं


अगर हां तो फिर क्यों खेली जा रही है

अवाम के खून की होली

क्यों किए जा रहे हैं वे बेदखल जिंदगी से

क्यों उन्हें उजाड़ रहे हैं,

क्यों देने को विवश हैं वे कुर्बानियां वादी में

क्यों मासूम पीढ़ियों के भविष्य बिगाड़ने पे तुले हैं


इस वातावरण का निर्माण करके कैसा

भविष्य देना चाहते हैं ये वादी में लड़ने वाले

क्या जन्नत में खून की नदियां बहती हैं.....?


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