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mumtaz hassan

Tragedy

3  

mumtaz hassan

Tragedy

वृद्ध पिता

वृद्ध पिता

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वयोवृद्ध पिता जी पड़े रहते हैं दिनभर-

घर के कोने में टूटी फूटी खाट पर


तन पर होती है पुरानी धोती और फ़टी हुई बनियान

खांसते रहते हैं दिनभर


खखार थूकते हैं वहीं खाट के नीचे रखे गमले में

जिसे देख देखकर घिंघिनाती है पुतोह 


वह मन ही मन कोसती हैवयोवृद्ध पिता को-

जाने कब मरेगा बुड्ढा,

और मिलेगी मुक्ति हमें इस गन्दगी से


अब कोई नहीं सटता पिता जी के आसपास,

छूत हो गए हैं अब 'परिवार'के लिए


वो परिवार जिसे उन्होंने कठोर परिश्रम से बनाया था 'परिवार'


बेटों ने भी मुँह फेर लिया है 

नहीं करते सेवा कि छूत हो गए हैं पिता जी


शहरों की संस्कारहीनता के शिकार पुत्र नहीं जानते सेवाभाव, नहीं जानते पुण्य का मर्म


मॉडर्न पुतोह भी देखना नहीं चाहती उन्हें

उन्हें तो प्रतीक्षा है-कब परलोक कूच करते हैं पिताजी


और वयोवृद्ध पिता जी भी भगवान से अब

यही प्रार्थना करते हैं -मृत्यु उन्हें गले लगा ले .....??



 


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