STORYMIRROR

Amit Tiwari

Tragedy Thriller

3  

Amit Tiwari

Tragedy Thriller

कविता भी रो देगी(बलात्कार पर)

कविता भी रो देगी(बलात्कार पर)

1 min
595

कविता भी रो देगी तड़पन आँसू बनके निलकेंगे

कितने चेहरे ऐसे ही रेत में बिखरेंगे


तड़पी हो देह जिसकी आत्मा भी क्यूँ न तड़पे

निकल गए कुछ, दम तोड़ा कुछ ने घुट के


बलात्कार अमानवता की सबसे चरम निशानी है

नरभक्षों की चढ़े बलि, मिले न्याय यह सबने ठानी है।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy