STORYMIRROR

Amit Tiwari

Abstract

4  

Amit Tiwari

Abstract

सपने

सपने

1 min
211

क्यूं दुनिया शत्रु हो जाती है ?

अगर तुम उसके ढर्रे पर

नहीं चलना चाहते

वो दुनिया

जो बनी है

हमारे अपनों से।


ओढ़ लेना चाहती है

हमें अपने सपनों से

वो सपनें जो

काली रात में आते हैं

सच लगते हैं।


रूह से देह तक को

हिला जाते हैं

और हमें एक अनचाहा

डर दे जाते हैं।


जो जागने के बाद

झूठा लगता है

हम फिर सो जाते हैं

हम सब जैसे कि अब उस

सपने का कोई मूल्य नहीं।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract