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Amit Tiwari

Others

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Amit Tiwari

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बेटी के जन्म पर

बेटी के जन्म पर

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एक बार फिर नई कोंपल का प्रस्फुटन हुआ है

एक बार फिर सूख गई डाली में जान आयी है

एक बार फिर नई उम्मीद का अंकुरन हुआ है

एक बार फिर फूल की खुशबू दिशाओं में बिखरी है

एक बार फिर उसका खिलखिलाने का मन करेगा

एक बार फिर उसका चित्त तितलियों से उड़ेगा

एक बार फिर उसकी आंखें अचंभित होंगी

एक बार फिर खुलकर हृदय धड़केगा

एक बार फिर कोंपलों को पूरा खिलने से रोका जाएगा

एक बार फिर उसे मस्त हवा में झूलने से टोका जाएगा

एक बार फिर उसे बांध दी जाएंगी पुरानी बेड़ियां

एक बार फिर उसकी आत्मा पर हक़ जताया जाएगा

एक बार फिर उसे उसके शरीर का हवाला दिया जाएगा

एक बार फिर उम्मीद को कुचला जाएगा

एक बार फिर पंख फैलाने पर पाबंदी लगेगी

एक बार फिर मासूमियत को कुचला जाएगा

एक बार फिर आँखों की चमक को समझा न जाएगा

एक बार फिर उसकी मुस्कान को खोला न जाएगा

एक बार फिर पायल अपना हक़ जमायेगी

एक बार फिर वो घायल और घायल की जाएगी

एक बार फिर ये समूचा समाज नाकाम हो जाएगा

एक बार फिर ये समूचा समाज अपनी ही उलझनों में खो जाएगा

एक बार फिर इस मासूम को इन्हीं उलझनों का शिकार बनना पड़ेगा

एक बार फिर वो सब उसे भी सहना पड़ेगा

एक बार फिर मौका मिला है मासूमियत को समझने का

एक बार फिर मौका मिला है संभलने का

एक बार फिर मौका मिला है नई पौध लगाने का

एक बार फिर मौका मिला है खुद को जगाने का

एक बार उसे पूरी तरह खिलखिलाने दो

एक बार उसे हवा में झूम जाने दो

एक बार गूंजने दो तमन्ना उसकी आसमानों तक

एक बार जी लेने दो उसे अनहद आवाज़ तक! 


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