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gyayak jain

Abstract Thriller

2.9  

gyayak jain

Abstract Thriller

महाकाल का रौद्र हिसाब

महाकाल का रौद्र हिसाब

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क्या सुंदर प्रेम मिलन फल हो,

जब बाल जनम ले धरती पर

किलकारी से शोभित आँगन,

ज्यों असार से अनभिज्ञता हो।


ऐसा भी क्या कष्ट दिया,

उस नन्ही जान अनजानी ने

नौ महीने तन से लिपटा कर,

अलग किया ज्यों पाप किया।


कैसा उस माँ का सीना होगा,

हत्या कर देती कलेजे की

कैसे धकेला जाता होगा,

उसको गर्भपात के अंधेरे में।


देख मनुष ये कैसी प्रवृति,

आधुनिकता की आड़ तले

क्या होगा तेरा इस बार जवाब,

जब होगा महाकाल का रौद्र हिसाब।


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