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Devaram Bishnoi

Thriller

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Devaram Bishnoi

Thriller

"ज़िन्दगी एक जंग हैं"

"ज़िन्दगी एक जंग हैं"

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भारतीय संस्कृति में ज़िन्दगी को परिभाषित

करके रख दिया है।

भारतीय संस्कृति में खेल-कूद प्रेम प्यार कि उम्र 

खान पान पहनावा रहन सहन सब कुछ तय है।

आप लीक से हट कर कुछ नहीं कर सकते हो।

इसमें लोक लाज रखनी बहुत जरूरी होती हैं।

मतलब लोक लाज द्वारा पहरेदारी होती हैं।

लोक लाज का कोई धणी धोरी नहीं

चोहटा बैठक में हर रोज़ हरेक शख्स 

कि समीक्षाएं होती हैं।


अभी तक कितनों ने लोक लाज को छोड़ा हैं।

बेशर्मी का चोला ओढ़ा हैं।

हकीकत में बेशर्मी भी कितना 

प्रतिशत पर भी चर्चा परिचर्चा होती हैं।

लोक लाज के चक्र में सर्वाधिक

नुकसान स्व विवेक को होता हैं।

क्योंकि लोक‌ लाज‌ में स्व विवेक का

कोई स्थान नहीं होता हैं।


सब कुछ परंपराएं फिक्स हैं।

इसमें बदलाव कि सख्त मनाही हैं।

यदि आप स्वयं कि मर्जी ज़िन्दगी जीते हों।

तो लोक लाज समीक्षकों के कोप भाजन

बनना तय है।

भारतीय संस्कृति में इंसान बैबस है।

भारतीय संस्कृति में तों ज़िन्दगी एक जंग हैं।



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