आँख का पानी…
आँख का पानी…
जब कोई बीती कहानी याद आयी
जब कुछ सुंदर लम्हों की रवानी याद आयी
समझ ना पायी ये अद्भुत माया उसकी
हंसी या रोई मैं … हर बात आँखों में पानी लाई
जाना है सभी को इस जहां को छोड़ कर
लिख जाना अपने हिसाब से अपनी सुंदर दास्तान
और कुछ कर ना पाये उसके बनाये जहां में तो क्या
अपने बिताये लम्हों को यादगार बना जाना
हाँ कुछ खोया या पाया
बस उसको अपनी कलम से बयान कर जाना
जब इन पलों को दोहराएगा ये ज़माना
कुछ खुश होंगे …कुछ याद करेंगे
यूँ इस दुनिया से जाने के बाद भी
हमारी कहानी को … उस के शब्दों को आबाद करेंगे
आँख में आये इस पानी को
आज नया नाम दूँगी…
ये जिस्म जो बना ही पानी से
उसको आज सम्मान दूँगी
थोड़ा थोड़ा जो बहता है
ये आँख से …जब रोती है आँखें
जो है फ़ानी
जब जब हंसती है आँखें
रूह हंसती है तब …
जैसे भी निकला …आँखों से
ख़ुशी के आंसू …या दर्द के आंसू
निकलती है तब तब …ये रूह जिस्म को छोड़ कर
हाँ इस पानी से बना ये जिस्म
यूँ रूह निकल कर जाती है
आज़ाद करता जाता है …इस जिस्म को …जी फ़ानी है
बस ये जीवन …दो शब्दों की कहानी है
