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Manoj Kumar

Romance Thriller

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Manoj Kumar

Romance Thriller

वो जवानी कहां?

वो जवानी कहां?

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वो जवानी कहां?

वो कहानी कहां?

जो प्रेम में बुझ गई,

वो दीवानगी कहां?

जिसपे मरते थे हम,

वो लुट गए।

खता मेरी नहीं थी,

वो खफा हो गए।

छीनी मेरी परछाई,

वो जुदा हो गए।

मुड़कर देखें नहीं,

वो रवानी कहां?

वो जवानी कहां?

वो कहानी कहां?

कितना प्रेम था उससे,

क्या मैं बताऊं।

जो चले गए छोड़कर,

कैसे उसे अपनाऊ।

चोट तो दिलपर लगी,

क्या हैं उसको पता।

बेवजह वो जो रूठी,

बोलो! क्या थी मेरी खता।

जो बहते थे उस गम में,

अब वो पानी कहां?

वो जवानी कहां?

वो कहानी कहां?

कितनी चाहत थी उससे,

वो नहीं समझ पाई।

झूठे वादे करके वो,

कर बैठी बेवफ़ाई।

मैं जानता नहीं था,

की वो किस रूप हैं।

छांव दिल की हैं या,

गर्मी की धूप है।

इतना जोरों से धिक्कारा मुझे,

अब वो वर्तनी कहां?

वो जवानी कहां?

वो कहानी कहां?

करके वादे उसने,

अपनाया मुझे।

कुछ दिन चला रिश्ता,

और भड़काया मुझे।

ऐसी उम्मीद थी उसपर,

वो मुझसे प्रेम करेगी,

वो गुप्त बातें नहीं समझा मैंने,

वो क्या मुझसे करेगी।

जिसको चाहा था मैं,

वो प्रेमकहानी कहां?

वो जवानी कहां?

वो कहानी कहां?

शौक से अब जिंदगी काट लेंगे,

बस उसके बिना।

दाग़ उसने ही छोड़ा,

अब तो मुश्किल हैं जीना।

अब नहीं अपना सकता हूं,

जो गैर हो गई।

मुड़कर देखें नहीं वो जुल्फ़े,

किसी के शाम हो गई।

कैसे उससे मिलाऊं हाथ,

अब वो जिंदगानी कहां?

वो जवानी कहां?

वो कहानी कहां?



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