कारगिल विजय
कारगिल विजय
उंचाई पर से आते थे गोले
और चल रही बंदूकों की गोली
हर तरफ था खून बिखरा
मानो आज खेल रहे खून की होली
कहीं सैनिकों की शहादत तो
कहीं थी तोपों की टोली
मार दो या मर जाओ का उद्घोष था
हर नस कट जाने पर भी जोश था
रण का अंतिम दौर अब पास था
हर लम्हा दोनों पक्षों के लिए खास था
दोनों तरफ बहुत कम ही रह
गयी सैनिकों की टोली
गोली लगी थी जाने कहाँ कहाँ
निशान ही निशान थे देखो जहां
वो हड्डी जमा देने वाली ठंड
अपनो को याद कर के खुद को गर्म करना
असला कम था फिर भी जोश में ना कमी आई
एक तरफ था पर्वत उंचा और एक तरफ गहरी थी खाई
मां ने और पत्नी ने कसम थी दिलाई
बहन भी बोली विजयी हो कर लोटना भाई
फिर कैसे शहादत बेकार थी करनी
रग रग में उमंग थी भरनी फिर उद्घोष
हर हर महादेव का होने लगा
हर जवान सौ के बराबर होने लगा
भोर भी होने वाली थी,
आज रात बड़ी काली थी
उगते सूरज को आज दिखाना था
लाल मां का जीत गया ये भारत मां को बताना था
जोश उमंग हर किसी में भर डाली
लम्बी थी जंग मगर शूरवीरों ने फतह कर डाली
लहरा रहा करगील हिल पर तिरंगा था
भारत माता की जय उद्घोष
और जश्न मनाते वीरों का, सोच मन में शहादत हुई जिन वीरों की
उनकी शहादत का बदला हुआ पूरा यही तो संकल्प हमारा था
लग रहा था आज मानो करगील पर थी होली
भारत माता की जय हर जवान की थी बोली।।
आज ही के दिन हमारे सैनिक भाइयों ने अपने अटल विश्वास और पराक्रम को दिखाते हुए कुछ सैनिक भाइयों की शहादत के बाद पड़ोसी देश से लोहा ले कर करगील पर विजय पताका लहराई थी।
सैनिक भाइयों और उनके परिवारों को समर्पित..