मेघधनुष सी मोहब्बत
मेघधनुष सी मोहब्बत
कुछ यादें तेरी
चांद सी लगती हैं
जो बिना इलेक्ट्रीसीटी के
बल्ब सी रोशनी देती हैं।
कुछ बातें तेरी
काली रात सी लगती हैं
जो लाइट की निगरानी के
बावजूद भी अंधेरा देती हैं।
कुछ तोहफे तेरे
सुरज से लगते हैं
जो बिना गेस के
दिल की जमीं को जलाते हैं।
कुछ लफ्ज़ तेरे
सितारों से लगते हैं
जो बिना तिर-ओ-तलवार के
टुटते बिखरते रहेते हैं।
कुछ खत तेरे
शाम की संध्या से लगते हैं
जो बिना लालटेन के भी
लाल-पीले सपने संजोते हैं।
कुछ वादे तेरे
बादलो से लगते हैं
जो घनघोर घटाओं से भी
दिल के द्वार पे मंडराते रहते हैं।
कुछ मुलाकातें तेरी
बारिश सी लगती हैं
जो बिन मौसम के भी
प्यार की बुंदे बरसाती रहती हैं।
और
ये मोहब्बत तेरी
मेघधनुष सी लगती हैं
जो पल भर के महेमान की तरह
फिर से मिलने की कसमें दे जाती हैं।

