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ANJALI GODARA

Inspirational Thriller Children

4.1  

ANJALI GODARA

Inspirational Thriller Children

वो दिन

वो दिन

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जो बित वह कल बन जाता है।

वो दिन कभी लोट के नहीं आते हैं।

गुजरे हुए उन हसिन पलों को याद कर रहे हैं।


पर याद करने से क्या वो दिन लौट आते हैं।

बचपन की मासूमियत भरी जिंदगी थी।

ना जाने सब अपने ही लगते थे।


ना कोई चिंता थी ना कोई डर था।

ना किसी से कोई मतलब था।

मां पिता का प्यार था।


भाई बहन का साथ था।

दोस्तों कि मस्ती थी।

ना किसी से शिकायत थी।

वो मेरा बचपन था जो अब लौट ना आयेगा।


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