जुबान के तीर
जुबान के तीर
जुबान के तीर लग जाये अगर किसी को
फिर बात बने ना कोई।
जुबान संभाल के बोले हमेशा चाहें कोई
अपना हो या कोई पराया।
जाने अनजाने में भी कड़वे ना बोलो
कड़वे बोल याद रहे हमेशा।
मीठे बोल से जिते सारा जग कहता सारा जग।
जिंदगी भर याद रहे ना कुछ पर
अच्छी बुरी बात रहती संग।
जुबान के तीर चल जाये एक बार फिर वापिस ना होते
तो जुबान के तीर ना चलाये किसी पर ।