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Manoj Kumar

Thriller Others

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Manoj Kumar

Thriller Others

बसन्त

बसन्त

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आम के पेड़ों पर मंजरी लिए।

कुछ भंवरे कह रहे हैं।

लहर उठी गगन से जब।

मोर संग मोरनी नाच रहे हैं।

जब झूमी पेड़ों के डाली

बसन्त में देखी हरियाली।

      

कोयल मीठी गीत सुनाए।

अम्बर सफेद चादर उड़ाए।

तितली कलियां से आवाज लगाए।

शबनम सुबह मोती बिछाए।

दिन हो या रात हो काली।

बसन्त में देखी हरियाली। 


जब दूध जैसी सफेद सुबह को छवि लिए।

इनको देख कर मलयज़ चल दिए।

पतझड़ जब मुस्काए तो हमें लगा,

कोई हमसे कह राह हो।

जब आसमान में छाई लाली।

बसन्त में देखी हरियाली।   

     

  



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