वो कामिल सिरमौर का
वो कामिल सिरमौर का
वो शायर मेरे नज़्म का
वो शाद मेरे बज़्म का
वो अज़ीज़ ज़ीस्त का,
वो ख़ास मेरे ज़िक्र का
वो अंदाज़ मेरे ज़ात का
वो इबादत हर ज़र्रे का,
वो अमानत मेरे रब का
वो सदाकत मेरे ग़म का
वो आज़ाद परिंदों का,
वो आफ़ताब मेरे चश्म का
वो महताब मेरे अश्क़ का
वो शौर ख़ामोश मन का,
वो चेहरा मेरे सुकून का
वो चाहत मेरे रोम-रोम का
वो लफ़्ज़ दफ़न एहसास का,
वो जान मेरे काया का
वो लिबास मेरे रूह का
वो हर जरिया जीने का,
वो हिस्सा मेरे धड़कन का
वो किस्सा मेरे फ़साने का
वो कामिल सिरमौर का....!

