युद्ध की तैयारी
युद्ध की तैयारी
जब मंडराएगा युद्ध के बादल
में लिखूंगा एक लंबी सी कविता
जब व्यस्त होंगे सभी युद्ध की तैयारी में
में नुकीला करूँगा मेरे कलम
क्यों कि,
में जानता हूँ, ये युद्ध नही सियासत है
कुछ मासूम जान के बदले उनका सिंहासन है
उस कबिता मैं होगा बिद्रोह
तानाशाहों के विरुद्ध,
पर मेरे शब्द किसीपर प्रहार नही करेंगे
ना ही होगा वो तीर और तलवार सरीखे तीक्ष्ण और धारदार
ना ही होंगे मिसाइल और बंदूक जैसे खतरनाक
वो होंगे थोड़े चपटे और गोल
उन शब्दों से बनाऊंगा एक मजबूत ढाल
जब युद्ध होगा तो में अपनी ढाल आगे कर दूंगा, पूरे प्रेम से
उसे टकराकर टूट जाएंगे सारे नुकीले, खतरनाक और हिंसात्मक हथियार
और, ढाल को आड़ में बचा लूंगा
एक जोड़ा प्रेमी
छोटे बच्चे, दूध पिलाती एक माँ
और थोड़े बहुत इंसान
बचा लूंगा कुछ पेड़ और
पेड़ पर खेलती छोटी सी गिलहरी
फूलों पर मंडराती कुछ भमरे और तितलियां
जब युद्ध होगा समाप्त
मेरे पास होगा बसाने को प्रेम भरा एक जीबन
पर्याप्त मात्रा में इंसानियत और उसके रखवाले।
