STORYMIRROR

Kunda Shamkuwar

Abstract

3  

Kunda Shamkuwar

Abstract

यादें

यादें

1 min
274

कुछ यादें सिगरेट की

राख की तरह होती है

बस जरा सा झटकते ही गिरकर

आँखों के साथ साथ दिमाग

से भी ओझल हो जाती है


कुछ यादें सुलगती हुई

गीली लकड़ी की राख के जैसी होती है

बस गिरती रहती है धीरे धीरे

और सुलगती रहती है दिल में

बिलकुल गीली लकड़ी की तरह.....


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract