सबब
सबब
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हर मयार चढ़ते गए
ख्वाब को मुकर्रर करते गए।
मिसाल पर मिसाल देते गए
हर सैलाब को समतल करते गए।
हर तमन्ना को दस्तूर बनाते गए
अरमानों की महफिल सजाते गए I
इसे जिंदगी का सबब बनाते गए I