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Shailaja Bhattad

Classics

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Shailaja Bhattad

Classics

सबब

सबब

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हर मयार चढ़ते गए

ख्वाब को मुकर्रर करते गए।


मिसाल पर मिसाल देते गए

हर सैलाब को समतल करते गए।


हर तमन्ना को दस्तूर बनाते गए

अरमानों की महफिल सजाते गए I


इसे जिंदगी का सबब बनाते गए I


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