लेखक का जीवन
लेखक का जीवन
आसान नहीं है लेखक का जीवन
फाकों में कटता है उसका हर दिन
कलम ही उसका है एकमात्र हथियार
विचारों की दुनिया में रहता वह निमग्न
लेखक दिल के अमीर होते हैं
माना कि पैसों से फकीर होते हैं
कल्पनाओं की अद्भुत सेज सजाकर
संवेदनशीलता की चादर ओढ सोते हैं
लेखक समाज का आईना है
जनता की आवाज बनता है
भावनाओं को शब्दों में ढाल
दिल का दर्द स्याही में बहता है
लेखक सबसे बड़ा निडर योद्धा है
सत्य लिखने में हिचकिचाता नहीं
विचारों को शब्द रूपी तलवार में गढकर
अन्याय पर वार करने में घबराता नहीं
जब वह "वीर रस" पर लिखता है
योद्धाओं की बाजुऐं फड़कने लगती हैं
जब वह "श्रंगार रस" की सेज बिछाता है
मरुस्थल में प्रेम की नदियां बहने लगती हैं
मां की महानता को बताने वाला वही है
नारी के मन की पीड़ा को भी वही बताता है
भूत पिशाचों की काल्पनिक दुनिया दिखाने वाला
करुणा के सागर में डुबकी भी वही लगवाता है
जब राजा कर्तव्य पथ से डिग जाये
तब कलम से उसे अहसास करवाता है
जज्बातों को शब्द रूपी हथियार बनाकर
एक सामाजिक क्रांति का आगाज करता है
किसी के नैनों में कितना मद भरा है
रेशमी जुल्फों में बदली कैसे खो जाती है
एक मुस्कान से कैसे घायल होते हैं सब
यह एक लेखक की कलम ही तो बताती है
अध्यात्म के ज्ञान बिना अधूरा है लेखक
ऐसा व्यक्ति समाज का क्या भला करेगा
पूर्वाग्रहों से जो ग्रसित रहता हो।
वह समाज का क्या मार्गदर्शन करेगा
समाज को दिशा दिखाना धर्म है उसका
तुलसीदास जी ने रामचरितमानस में यही किया है
आलोचनाओं से क्या डरना,वे उसके आभूषण हैं
लेखक वही जिसने विनय, संयम, क्षमा को धारण किया है।
