महिषासुर की कथा
महिषासुर की कथा
आज तुम्हें हम महिषासुर मर्दिनी की कथा सुनाते हैं।
भगवती जगदम्बा की हम महिमा गाते हैं ।।
शेरोवाली की करो जय - जयकार ।
माता रानी करे सबका बेड़ा पार ।।
सतयुग की बात है ये सुनो लगाकर ध्यान
जो सच्चे मन से सुनता उसका होता जग में सम्मान ।।
ब्रह्मा जी से उसने मांगा था वरदान ।
किसी पुरुष के हाथों न त्यागो अपने प्राण ।।
ऐसा वरदान उसने पा लिया ।
त्रिलोकी के सुख को उसने खा लिया ।।
देवताओ पर मचाया आहाकार ।
उसके भय से कांप गया संसार ।।
इंद्र भी कुछ कर न पाए ।
फिर सारे देवता त्रिदेव की क्षरण में जाए ।।
सभी देवता त्रिदेव की क्षरण में आते है ।
अपना सारा दुख वो बतलाते है ।।
फिर आपस मे करके विचार ।
त्रिदेवो ने किया माता का आविष्कार ।।
उन माता की ऐसी शान ।
तेज था लाखो सूर्य समान ।।
त्रिदेवो का सबसे उत्तम आविष्कार ।
सब देवो ने दे दिए माता को अपने - अपने हथियारा ।।
माता गई करने महिषासुर का संघार ।
देवी के सामने हुआ दानव भी लाचार ।।
फिर तो भयंकर युद्ध छिड़ जाता है ।
पर अंत मे महिषासुर मारा जाता है ।।