आत्मीय स्पर्श
आत्मीय स्पर्श
कहना चाहूँ तो मैं बहुत मगर,
पर सुनने वाला कोई मिलता नहीं
राह में मिलने वाले तो कई सारे हैं,
पर संग संग मेरे कोई चलता नहीं
है नहीं एकांत , यूँ लगता था मुझे,
पर अहसास सामूहिक सा लगता नहीं
मन में आह्लादित भावों की हलचल है,
पर आंखों में उत्साह सा दिखता नहीं
जब चारों तरफ चकाचौंध चमक,
फिर तिमिर दूर क्यों हटता नहीं
हर मुश्किल के हैं सुझाव बहुत,
आत्मीय स्पर्श बस मिलता नहीं।