तकलीफ
तकलीफ
किसी के दर्द के गर तुम घाव भर नहीं सकते,
तो मुंह झुकाकर यूँ मुस्कुराया भी ना करो..
अगर समझ नहीं तो चुप बैठो अकड़ में अपनी,
पर हर एक की तकलीफ को एक सा न बताया करो...
किसी को फिक्र थी आसमां में ऊँची उड़ान की ,
तो माँग रहा था कोई दुआ वहीं अपनी जान की..
न पोंछ सको अगर किसी की रोती आंखों से तुम आंसू..
तो पत्थर बनकर तुम उसका दिल भी ना दुखाया करो..
अगर समझ नहीं तो चुप बैठो अकड़ में अपनी,
पर हर एक की तकलीफ को एक सा न बताया करो...
किसी को फिक्र थी बस सिंहासन पर सजूं कैसे,
किसी का आईना भी देख करुण क्रन्दन सा करता था..
न बन सको अगर किसी के चेहरे की तुम मुस्कुराहट,
तो बातों से अपनी तुम उसकी पीड़ा भी ना बढ़ाया करो,
अगर समझ नहीं तो चुप बैठो अकड़ में अपनी,
पर हर एक की तकलीफ को एक सा न बताया करो...