मां की सीख
मां की सीख
सुनो, सुनो जरा मेरी बिटिया रानी,
वात्सल्य से भरी तेरी माँ की यह वाणी..
प्यार किया तुझको उस क्षण से ही,
जब कोख में ही थी तेरी सांसें पहचानी...
जानती हूँ कि तू अब बड़ी हो रही,
सीख भी रही कुछ कुछ दुनियादारी..
पर लाडो मेरी यह कभी भूल न जाना,
मात पिता की सीख इस जग में सबसे भारी...
सुनो गुड़िया मेरी जरा ध्यान लगाकर,
अगर बहलाए कोई या कुछ कहे फुसलाकर..
न होश, न आपा अपना कभी तुम खोने देना,
लेना निर्णय प्रभु,पिता-मात को दिल में बसाकर..
मिले गर दरिंदे कहीं किसी भी भेष में,
याद रखना तू जन्मी है दुर्गा काली के देश में..
संस्कारों में तेरे जहां चरित्र माँ अनुसुइया सा हो,
तो हिम्मत और तेज भी मनु लक्ष्मी बाई सा हो...
जानती हूँ की सदा तेरे साथ नही होंगे हम,
पर हमारी हर सीख को तू रखना अपने संग..
वादा है बसेंगे तेरे दिल में प्यारा सा प्यार बनकर,
रखेंगे अपने आशीष की छांव सदा तेरे सर पर..
सुनो, सुनो जरा मेरी बिटिया रानी,
वात्सल्य से भरी तेरी माँ की यह वाणी..
प्यार किया तुझको उस क्षण से ही,
जब कोख में ही थी तेरी सांसें पहचानी...