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Ritik Dhiman

Tragedy Classics

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Ritik Dhiman

Tragedy Classics

बादल भी रो पड़े

बादल भी रो पड़े

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मुझे छोड़ के गए तुम 

तो बादल भी रो पड़े

जिसके साथ अब हो तुम 

उसके लिए अब हम दुआ करे

मेरी महोब्बत तो बेबफा थी

अब उनके साथ ना आप दगा करे


साबन् की तरह मेरी ज़िंदगी अँधेरे मे है

जो खाब मेरे थे बो कहा अब मेरे है

अक्सर अंधेरों मे बाते करता हु तारो से

उसका छोड़ जाना मेरे खाबो कि गलती या मेरे खाबो के स्वरे है


मिट्टी की खुशबू की तरह उसकी खुशबू मेरे जिस्म मे है

अब बिस्तर मे लेट कर ख्यालों मे भी बो है

कभी मैं उसको उससे भी ज्यादा अज़ीज़ था

पर आज दिल मे मेरे बो पर बो ज़िंदगी मे किसी और की है


जानता हु महोब्बत करना आसान है

महोब्बत के वादे करना आसान है

हर किसी को इश्क़ अब खेल लगता है

दिल से की इश्क की बद्दुआ तोड़ती कई अरमान है


मुझे महोब्बत मे सजा मिली है

लोगों को लगता है मे सराब पी रहा 

पर ये मेरे जख्मों की अब दबा मिली है

जो सोचें मुझे ishq की बद्दुआ

उन्हे बताओ मुझे ishq मे भी दुआ मिली है


उसके निकहा के बाद उससे राबता फिर हुआ

बो खुश किसी और के साथ पर मेरा तो जख्मों से बास्ता फिर हुआ

बो सोचते थे हम भूल गए उनको

पर मेरा दिल तो उनके अलाबा किसी और के लिए कभी रास्ता ना हुआ


खुशी तेरे आँगन मे मेरी बरसात की तरह

महोब्बत मेरी रूठी मुझसे अंधेरी रात की तरह

जिसने कभी रातों की नींदे छिनी मेरी

अब बो रातों में याद आई गुमशुदा याद की तरह।


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