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Ritik Dhiman

Abstract Tragedy Others

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Ritik Dhiman

Abstract Tragedy Others

तेरी दुनिया

तेरी दुनिया

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243

दुनिया तेरी क्यूं हो गई खराब

दुनिया तेरी बन गई तेजाब

दुनिया तेरी ज़ालिम लगे

दुनिया तेरी का कोई होर बना बैठा नवाब


तेरी दुनिया का रंग देख रहा हूँ मैं

ईमान बेचकर खुदा को समेट रहा हूँ मैं

घमंड हुआ तुझे तेरी कला पर

तो इंसानों का काला चिट्ठा खोल रहा मैं


यहाँ माँ बाप भाई बहन ना कोई रिश्ते हैं

जो तूने सुनाए बो सब नाम के किस्से है

रिश्ते नातों को देखने गया मैं जब

तो ये सब मुझे लगे झूठ के हिस्से है


यहाँ मोहब्बत बस जिस्मों तक लगती है

धोखे के शहर में मैंने बनाई एक बस्ती है

तेरे बारे में जब मैंने बात की वहां

लोगों ने कहा खुदा तो बस नाम की हस्ती है


क्या दुनिया का तेरी हाल हो रहा है

कलियुग में नया प्यार हो रहा है

हर किसी की सोच यहाँ biklan हुई

यह सब देख कर मेरा भी दिमाग खराब हो रहा है


तूने सोचा होगा मैंने खूबसूरती का muaina kiya h

इंसान को बना के मैंने कला को iena दिया है

पर इंसान तेरी दुनिया की बदसूरती की वजह बना

kyu नहीं तूने इन सब को ek अच्छा दिल दिया है


dhoke हो रहे यहाँ रिश्ते नातों में 

पैसे पे बिक रहे यहाँ हर कोई रातों में 

कलयुग भी तेरा हो रहा बड़ा

खून के प्यासे हो रहे यहाँ धर्म और जातों में


दुनिया का हाल देख के 

तू भी रोने लगा 

मिट गये जज़्बात मेरे

जब 6 साल की बच्चियों का रेप होने लगा

अक्सर सोचता हूँ क्यों तूने ये दुनिया बनाई

यहाँ इंसान toh insaniyat का दायरा खोने लगा


मैंने राजा को देखा है चोरी का ताज रखते

मैंने रानी को देखा है किसी को बरबाद करते

कहते इश्क़ नफा है यहाँ 

जिसे तू चाहे उसे तो खुद ख़ुदा बरबाद कर दे


प्यार मिट गया तेरी दुनिया में अब

सब जिस्म के बन गए शिकार है

क्या तू likh rha मेरी बाते

यहाँ तो मिट रहे अब मेरे jasbat है


दुनिया तेरी क्यूं हो गई खराब

दुनिया तेरी बन गई तेजाब

दुनिया तेरी ज़ालिम लगे

दुनिया तेरी का कोई होर बना बैठा नवाब



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